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शेषा राम

Abstract

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शेषा राम

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आओ नई शुरुआत करें

आओ नई शुरुआत करें

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एक दूसरे का साथ करें

आओ नई शुरुआत करें

देश पर संकट आ पड़ा

हरियाली हमें छोड़ चली


छोटे पेड़ परेशान हैं

हम उनकी पुकार सुने

सब मिलकर बरसात करें

आओ नई शुरुआत करें।


बुराई का है बोलबाला

पैसों से होती मनमानी

सत्य-ईमान किताबों में रहा

सच्चे की बात न मानी


कोई तो देता इनको सहारा

हम उनको ज्ञात करें

सब मिलकर बात करें

आओ नई शुरुआत करें।


दोपहर में अंधियारा हुआ

सूरज चंदा छोड़ चले

रोजाना अमावस्या ही आती

दीपक की बुझ गई बाती


उदासीनता के माहौल में

मुस्कान को आह्वान करें

हम चांदनी रात करें

आओ नई शुरुआत करें।


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