आओ हम...मरहम बन जाते हैं..!
आओ हम...मरहम बन जाते हैं..!
तुम भी जख्मी, हम भी जख्मी,
चलो हम एक दूजे का मरहम
बन जाते है....!
टूटे थे जो ख्वाब हमारे,
चलो उन ख्वाबों को हम मिल
कर सजाते है....!
छीन गई थी जो खुशियां हमारी,
चलो अपनी खुशियों को वापस उस खुदा से
हम छीन लाते है....!
हां होंगी काफी कठिनाई सफर में,
इसलिए तुम हमारी ताकत और हम तुम्हारी
हिम्मत बन जाते है....!
मोहब्बत में कर वादे हजार लोग छोड़ जाते हैं,
तो क्यों ना हम मोहब्बत की जगह एक दूजे की ओर
दोस्ती का हाथ बढ़ाते है....!!
