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Suryakant Sahu

Inspirational Thriller

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Suryakant Sahu

Inspirational Thriller

आजादी

आजादी

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रक्तपात, बलिदानों से, हमने आजादी पाई है।

झूठे हैं वे लोग जो कहते, बिना खड़ग यह आई है।।

            रोटी और कमल को भूले, भूल गए झाँसी की रानी।

            भूल गए जलियाँ वाला को, खून नहीं बहता था पानी।।

फांसी पर सुखदेव, भगतसिंग हँसते हँसते झूल गए।

वे ! मंगल पाण्डे, सावरकर को,  ऐसे कैसे भूल गए।।

           आज़ाद हिन्द सी फ़ौज खड़ी की, अंग्रेजों को था ललकारा ।   

           नेता सुभाष ने, हमें दिया युद्ध घोष `जयहिन्द `का नारा ।।

दुर्गा ब्रिगेड का गठन किया, जन-जन में अलख जगाई है।

झूठे हैं  वे लोग, जो कहते, बिना खड़ग यह आई है।।

            सर अपना दे दिया, शहीदों ने वतन के वास्ते ।

           जलता नहीं , अब एक भी दिया उन के वास्ते ।।

ताबूत बेचने वालों के, महलों में रौशनी छाई है ।

झूठे है वो लोग जो कहते ,बिना खड़ग यह आई है ।।



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