15 अगस्त की भक्ति
15 अगस्त की भक्ति
एक दिन पूछा मैंने अपने मन से
वो 15 अगस्त की भक्ति कैसी
उसमे शक्ति कैसी
उस दिन सबके हाथ में तिरंगा होता
अगले दिन सड़के साफ़ करता
धूल में लिपटा तिरंगा होता
इनमें से सब नहीं तो कुछ तो ऐसे करते
इसलिए उनके दुख कोई ईश्वर ना हरते हैं
और वह खूद के वजह से बहुत बुरे मौत मरते हैं
देश भक्ति सीखना है तो उनसे सीखों
जो मर मिटे थे देश के लिए
याद करो वो दिन अंग्रेजो ने बंद कर सारे द्वार
मारी थी गोली बार - बार
कोई गोली से मरे
तो कुछ कुएं में कूदने से
क्या उस दिन हम न हारें थे
कोई खड़ा न होता उस दिन
तो आज हम न होते
गर्व करो खुद पे ऐसे देश में जन्मे हो
जहाँ गुलामी में न जकड़े हो
आजाद हो तो उनपे गर्व करो
जो मरे थे देश आज़ादी के जंग में
जो कहते थे आख़री सास तक लड़ेगे
इन्कलाब जिंदाबाद
मैंने तो सोच लिया
अब तुम सोचो
क्या ये सच नहीं है
है तो खुद को और दुसरो को ऐसा करने से रोको
यह देश वीर जवानों का है।
