ज़िन्दगी और ट्रेन
ज़िन्दगी और ट्रेन
ज़िन्दगी तो उस ट्रेन की तरह है
जो कोहरा सामने देख कर
रफ़्तार धीमी कर लेती है
और सुर्य की किरण में
नहाई उम्मीद को देख
फिर दौड़ पड़ती हैं
अपनी मंज़िल का हाथ थामने
ज़िन्दगी तो उस ट्रेन की तरह है
जो कोहरा सामने देख कर
रफ़्तार धीमी कर लेती है
और सुर्य की किरण में
नहाई उम्मीद को देख
फिर दौड़ पड़ती हैं
अपनी मंज़िल का हाथ थामने