पत्थर
पत्थर
शहर में बादल बहुत है
आज कल,
बरस रहा है अंधेरा
आंखो से मेह बन कर.....
दर्द कम होने का नाम
नहीं लेता
हवा ही कुछ ऐसी है अब
मेरे शहर की.......
सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ है
पांव के निशान तक मिट गए
हैं हमारे तुम्हारे.....
हो सके तो तुम आ जाना मिलने
इस पत्थरों के शहर में
जहां आईने-सा मेरा दिल
बिखरा पड़ा हर मोड़ पर.......