अप्रत्याशित
अप्रत्याशित
राकेश को हमेशा लगता था कि बच्चे उससे लगाव नहींं रखते पर कारण नहीं पता कर पाता क्योंकी वो अपने बच्चों की हर मांग पूरी करता था।
एक दिन उसकी बेटी ने एक टॉप की फरमाइश की वोखुसी से मॉल लेकर गया वह की सबसे महंगी टॉप खरीदी घर पर आकर नताशा ने टॉप पहना और बोली पाप देखो कैसी लग रही है राकेश ने बिना देखे बोलै ठीक ।नताशा रोने लगी और बोली
पाप आजतक आपने हमारे मनोभावों को नहीं समझा हमलोग आपका ध्यान चाहते है ना कि महँगी वस्तु और इसी कारण आप हमारे करीब कभी न आ पाए। आज राकेश को अपने सावल का जबाब मिल गया था।उसे याद आया कि उसने पढ़ा था कि बच्चों को समय चाहिए मार्गदर्शन के लिए न कि वस्तु।