यादों के झरोखे से
यादों के झरोखे से
आज उन्हें सफेद कपड़े में लिपटे देखकर इस सच्चाई को दिल मानने को तैयार ही नहीं हो रहा है। लगता हैं अभी उठकर कुछ ऐसा बोलेंगे कि सभी के होठों पर मुस्कान खिल उठेगी। वह और कोई नहीं मेरे पापा थे ऐसे कैसे हो सकता है कि सभी रो रहे हो और वह शांति से सो रहे है। मुझे याद है वो पल जब हमारे घर पर चोर आया था, मेरे चाचा ने उसे पकड़ लिया और लोगों ने पुलिस को फोन किया पापा सारी गतिविधियों से अनभिज्ञ चोर के पास गए पुछा क्यों चोरी करने आए थे, चोर बोला भैया भूख लगी थी और पैसा नहीं था। पापा ने तुरंत माँ को कुछ खाने को लाने बोला और उसे कुछ पैसे दिया, फिर कहा जाओ भागों नहीं तो तुम्हें ये लोग पुलिस के हवाले कर देंगे वह भाग गया। सभी ने बोला कि यह क्या किया क्यों किया पुलिस भी आ गई उनका भी यही सवाल था। वह बोले कि आपलोगों ने ध्यान नहीं दिया उसके आँखों में आंसू थे। वह यह कार्य मजबूर हो कर कर रहा था। फिर बोले मैं आंसू नहीं देख सकता। आज वहीं व्यक्ति सभी के आंसू शांति से देख रहे महसूस कर सकती हूं कि आज वह कितने बेचैन होंगे।