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Kaustubh Srivastava

Thriller

3  

Kaustubh Srivastava

Thriller

अमर

अमर

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अगस्त १६ , २५६७

       आज का दिन न सिर्फ मेरे अस्तित्व का सबसे बड़ा दिन था बल्कि आज मैंने अपनी नई पहचान पाई। दरासल मैं अपने चाचा की प्रयोगशाला में घूमने जा रहा था।


वह आयु बढ़ने की प्रक्रिया को धीरे करके मनुष्य की आयु कुछ सौ साल बढ़ाना चहते थे। वह इस तकनीक से मेरा ब्लड कैंसर ठीक करना चाहते थे।


मैं सुबह - सुबह उठ गया (जो की मैं रोज नहीं करता था) तैयार होकर मैंने अपने मल्टीविटामिन और मल्टीमिनरल आदि केप्सूल खाए। मैं घर से बाहर निकल चुका था। मैं सीधे प्रयोगशाला की तरफ जा रहा था। मैंने सोचा क्या वह शोध सही होगा भी नहीं। मुझे कई सौ साल के जीवन पर विश्वास नहीं हो रहा था।


मेरे चाचा जी मेरे गेट के सामने मेरा इन्तजार कर थे। वे मुझे प्रयोगशाला के अंदर ले गए। मैं प्रयोगशाला को देखकर दंग रह गया था।


कुछ घंटों तक तो सब ठीक था। कुछ देर बाद एक कर्मचारी आया। उसने चाचा को कुछ बताया। चाचा ने मुझे प्रयोगशाला के बाहर जाने के लिए कहा ,मैंने पूछा क्यों। पर वे तब तक चले गए थे।


मैं प्रयोगशाला से बाहर निकल ही रहा था कि तभी •••••••• प्रयोगशाला में एक विस्फोट हो गया।


जब मैं उठा तो मैंने अपने आप को यंत्रो से भरे कमरे मे पाया । शायद कोई अस्पताल था , पर हाई-टेक।


मैंने एक यंत्र देखा शायद कोई कैलेंडर था। मैं दंग रह गया।

तारीख थी - १२ अगस्त सन् ६५६७।


क्या मैं सचमुच चार हजार साल कोमा में था•••••••••••


मुझे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा था। क्या मैं इतने सालों तक कोमा में था? मेरे दिमाग में यह सवाल उठ रहे थे कि तभी एक आदमी मेरे पास आया।


मैंने उससे पूछा मैं कहाँ हूँ। उसे शायद हिन्दी नहीं आती थी । वह मेरी फोटो खींचकर चला गया। मैंने शीशे के पार देखा। तो वह आदमी मेरा एक्स रे देख रहा। मैं यह सोच भी नहीं सकता था की कोई ऐसे एक्स रे करेगा।


कुछ देर बाद एक आदमी फिर आया। बह भारतीय लग रहा था। मैंने उससे पूछा मैं कहाँ हूँ? वह थोड़ा हिचकिचाकर बोला "आप वेल्स देश के न्यु वेल्स सिटी शहर के••••" मैंने बीच में ही उसकी बात काट दी।" वेल्स एक देश कबसे बन गया?"


"तीसरे विश्व युद्ध में।" वह बोला , पर मुझे यकीन नहीं हुआ। उसने मुझे बताया की मेरी एजिंग प्रोसेस के बंद होने ( बूढ़े होने की प्रक्रिया) की वजह से मैं अभी तक जिंदा हुँ।


मैंने उससे पूछा की मैं कैसे यहाँ आया। तो उसने बताया की प्रयोगशाला मे विस्फोट के कारण मेरी एजिग प्रोसेस रुक गई पर मैं कोमा मे भी चला गया था।


मैं खुदाई में बेहोश मिला था और तब से कोमा में था। "मैं कब यहाँ से बाहर निकल पाऊँगा।" मैंने पूछा। " कुछ सालो बाद। क्योकी अभी तो चौथा विश्व युद्ध चल रहा है।


मुझे अभी भी यकीन नहीं हो रहा पर यही सच्चाई थी।


३१नवंबर६५६९


आज मुझे कामा से जगे २साल हो गए और मैं वहीं था।

आज के दिन की शुरुआत सामान्य थी •• पर दिन नहीं।

दोपहर को एक हमला हो गया ••••••• चौथा विश्व युद्ध यहाँ तक आ गया


जब धुआँ हटा तब•• सैनिकों की एक टुकड़ी मेरे पास आ गयी । उन्हें लगा की मैं मर गया पर जब उन्हें पता चला मैं जिंदा हूं, वे चकित रह गए।


उन्हें यह आशंका नहीं थी की कोई इस धमाके से बच सकता है। जब मैंने अपनी आँखें खोली तब मैं एक कमरे में था। कुछ स्काॅटिस सैनिक थे, क्योंकि उनके कपड़ों पर स्काॅटलैण्ड का झँडा था।


एक आदमी ने प्रवेश किया। उसने मुझसे अंग्रेजी मे पूछा " who are you(तुम कौन हो)?" मैंने कहा " किसी को हिंदी आती है?" आदमी ने सैनिकों को देखा और चला गया। फिर एक चला आया।


"तुम कौन हो?" उसने पूछा। मैंने कहा "मैं?••••••आह मैं अमर हूँ, यही मेरा नाम है।" मैंने कहा "उपनाम ?" आदमी ने पूछा। मैं अपना उपनाम भूल चुका था( शायद धमाके के कारण) तो मैंने उसे यही बताया।


"तो तुम भारत के हो,चार हजार साल से कोमा में, एजिंग प्रक्रिया रुकी हुई , कई जानलेवा बीमारियों से इम्युन भी किसी अमर मानव की तरह और नाम भी वही।" उसने एक फाइल को पढते हुए कहा ।


" वाह! मैं कितना मशहूर हूँ।" मैंने हँस कर बोला ताकी मैं खतरनाक न लगूँ ।


मैं एक सैनिक की बंदूक छीनने की सोच रहा था। पर वह समझ गया। वह दौड़कर मेरे ऊपर कूद पड़ाऔर मैं बेहोश हो गया।


वह आदमी कमरे से बाहर निकल गया।

उसने जनरल से कहा"( अंग्रेजी में) इण्डियन यूनियन वेल्स पर इसे बचाने का दबाव बनाएगी"


"और जब वे यहाँ आएंगे, तब हम उनके हेड़क्वार्टर पर हमला करेंगे•••••••••••••


मैं जब चेतना में आया। तब वे सैनिक मुझे कहीं ले जा रहे थे।मुझे वहाँ से बाहर निकले का कोई रास्ता नहीं दिख रहा था। मैं आधा चेतना में रहने का नाटक कर रहा था।


कुछ देर बाद मैंने एक सैनिक की बंदूक उसे लात मारकर छीन ली। मैंने कुछ सैनिकों को पैर पर गोली मार दी और भाग गया।


मैं भाग रहा था और कुछ सैनिक मेरा पीछा रहे थे। मैं छुप गया। मुझे लगा की अब मैं पक्का पकड़ा गया। पर जब वे सैनिक मुझे पकड़ने ही वाले थे , एक आदमी ने आकर उनके ऊपर हमला कर दिया।


वह उनसे लड़ने लगा। उसने उन सब को धूल चटा दी। मैं यह सब ड़रा हुआ यह सब देख रहा था।


उन सब से लड़ने के बाद उहने मेरी ओर देखकर कहा " अब तुम बाहर निकल सकते हो।" मैं चौक गया। उन सौनिको के पास हीट विजन भी था, पर वे मुझे पकड़ने मे नाकाम रहे। पर इसने पर तो मुझे कुछ सकेंड़ो में पकड़ लिया।


"तुमने मुझे कैसे पकड़ लिया।" "मैं इस घर का मालिक मैं हूँ। और मैंने तुम्हें यहाँ सकाॅटिस आर्मी से छुपते हुए देखा।" वह बोला


"मैं काइल एल्फवुड़ हूँ,वेल्स का एक सैनिक। मैं लगभग एक साल से सकाॅटिस आर्मी से बचता रहा हूँ। और तुम ?" उसने पूछा "मैं हूँ जाॅन हूँ( मैं अपना असली नाम बताना नहीं चाहता था)" मैंने कहा 


" एक मिनट! मैंने तुम्हें टी• वी• पर देखा है। तुम वही कोमा मे रहने वाले आदमी हो , अमर।" वह मुझे पहचान गया


"हँ। मैं वही हूं" मैंने माना।


मैं उसकी शरण मे आ चुका था। मुझे यह पता भी नहीं थी। उसने मुझे अपनी सुरक्षा करना सिखाया। हम दोस्त बन गए पर चार महीने बाद••••••••

हमे ढूंढ लिया गया••••••••••••••••••


आज मुझे काईल के साथ रहते हुए चार महीने हो चुके थे। मैं सुबह उठा तभी काईल ने मुझसे कहा" तुम जाकर छुप जाओ। कुछ सकाॅटिस सौनिक आए हैं।"


मैं छुप गया। उसने दरवाजा खोला। सौनिक मेरे बारे में पूछने लगे, काईल ने साफ साफ कह दिया कि वह मेरे भारे मैं नहीं जानता।


उन्होंने काईल को पकड़ लिया। उसे पीटने लगे। तभी एक सैनिक ने कहा की मैं यहीं कहीं हों। काईल चिल्लाया "भाग जाओ" और मैं भागने लगा। जब एक सैनिक मुझे पकड़ने के लिए भागा तब काईल ने उसे पकड़ कर गिरा दिया।


मैं कुछ सकेंडो में बहुत दूर चला गया था। पीछे मुड़ा तब देखा काईल बेहोश था और सैनिक मुझे ढूंढ रहे थे।


कुछ देर बाद मैं एक कस्बे में आ पहुँचा। वहाँ भी कुछ सैनिक थे। मैं भिखारी होने का नाटक करने लगा। वे चले गए कुछ दिनों बाद मैं एक किसान के पास नौकरी मिल गई।


आज उस बात को बीते एक साल हो चुका है। और आज जब मैं जाआ रहा था एक रेडियो (एक ईन्च का रेड़ियो) पर सुना "आज पूरे विश्व के लिए है खुशी का दिन , इंग्लैंड, वेल्स और नार्थ ईर्लैंड़ ने मिलकय सकाॅटसैंड़ पर हमला कर हराया और फिर से ये एक देश बन गए तीसरा विश्व युद्ध समाप्त हो गया•••••••••••"


मैं यह सब सुन कर फूला ना समाया। मैं आजाद था।


पर तभी कुछ लो ग मेरा पीछा करने लगे।(वह पक्का वही सैनिक होंगे। लगता है की वे अलगावादी बन गए) वह मेरा पीछे पड़े हुए थे।


फिर मैंने काईल की शिक्षा आपनाई और उन पर हमला कर दिया। पर मैंने जैसे प्रहार किया एक सैनिक के जैकट के लगे बैम्ब में विस्फोट हो गया जिससे सारे सैनिक मारे गए। जनरल को लगा की मैं भी मर गया पर•••


जब धूआँ हटा तब मैं घायल था पर जिंदा •••••••••••••••••••


समाप्त




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