यह कविता गाँव से शहर आये इंसान की संवेदना व्यक्त करती है। यह कविता गाँव से शहर आये इंसान की संवेदना व्यक्त करती है।
मत जाना मेरे रहन सहन पे तुम्हारी सौगात है मेरा यह स्वरूप। मत जाना मेरे रहन सहन पे तुम्हारी सौगात है मेरा यह स्वरूप।
अब तो रहम कर राही पर मालिक। अब तो रहम कर राही पर मालिक।
सेवा कीजिए शक्ति मिलेगी भक्ति कीजिए मुक्ति मिलेगी सेवा कीजिए शक्ति मिलेगी भक्ति कीजिए मुक्ति मिलेगी
भगवान ने बनाया मुझे औरत भगवान ने बनाया मुझे औरत
खत्म करो अपनी भी बुराई अकेले मेरे लंका क्यों जले रहे हो भाई। खत्म करो अपनी भी बुराई अकेले मेरे लंका क्यों जले रहे हो भाई।