STORYMIRROR
अपना लो।
अपना लो।
अपना लो।
अपना लो।
चुप चुप हूं
छोड़ता नहीं इस दुनिया
से आते रहता है
सहन कर के रहता हूँ
छेड़ते रहता है
क्या करूँ मैं ?
औरत बन गया
भगवान ने बनाया मुझे औरत
मुझे कोई अपना लो।
More hindi poem from anuradha nazeer
Download StoryMirror App