धूप जो सुबह थी शाम तक ढल जाएगी धूप जो सुबह थी शाम तक ढल जाएगी
कभी हुई तार-तार एहसासों से हार-हार, व्यर्थ शब्दों की अंतहीन कतार हुई जिंदगी... कभी हुई तार-तार एहसासों से हार-हार, व्यर्थ शब्दों की अंतहीन कतार हुई जिंदगी...
शर्म न आती ? इतने तजुर्बे होने के बावजूद भी तुम्हे बताना पड़ रहा है कि तुम मुर्दे के शर्म न आती ? इतने तजुर्बे होने के बावजूद भी तुम्हे बताना पड़ रहा है कि ...
अब नहीं है निशान मात्र भी संवेदना के उस काले टीके का, जो लगाया गया था तुम्हें बुरी नज़र से बचाने क... अब नहीं है निशान मात्र भी संवेदना के उस काले टीके का, जो लगाया गया था तुम्हें...
जहां उम्मीद गलत को सही होने का भरम दिखाती रहती है बस कुछ दूरी पर। जहां उम्मीद गलत को सही होने का भरम दिखाती रहती है बस कुछ दूरी पर।
जैसे कोई चंचल नदी हो,देखी उसकी अंगड़ाई। जैसे कोई चंचल नदी हो,देखी उसकी अंगड़ाई।