योगी भोगी ठग जग का जन्मों, सदियों जाने कब से पथ दर्शक हूं मैं योगी भोगी ठग जग का जन्मों, सदियों जाने कब से पथ दर्शक हूं मैं
फिर अचानक! दौड़ पड़ा... जादूगर और परियों की किताबों से सजे... उस दुकान की ओर! फिर अचानक! दौड़ पड़ा... जादूगर और परियों की किताबों से सजे... उस दुकान...
निज धरो चरण, सत्कर्मों के कि पुष्प खिले, उस माटी से। निज धरो चरण, सत्कर्मों के कि पुष्प खिले, उस माटी से।
एक अंतरीप बन जाता मेरा शरीर जहाँ अश्म ही अश्म है प्राचीन पीड़ाओं के। एक अंतरीप बन जाता मेरा शरीर जहाँ अश्म ही अश्म है प्राचीन पीड़ाओं के।
चित का चोर करे कुँज विहार चोला बासंती ! चित का चोर करे कुँज विहार चोला बासंती !