चित का चोर :बसंत
चित का चोर :बसंत
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चित का चोर
करे कुँज विहार
चोला बासंती !
खिला यौवन
उन्माद युक्त वायु
बसंत ऋतु !
गया बसंत
इन्तजार के चिह्न
दिखे पत्तों पर !
पीताभ तन
बसंत उपवन
हाथों में हाथ !
बासंती छटा
है प्रिय बिन सूनी
सुदूर कंत !