जीवन दो राहें पर खड़ा कर दे पूरब देखोगे या पश्चिम चलते बनोगे। जीवन दो राहें पर खड़ा कर दे पूरब देखोगे या पश्चिम चलते बनोगे।
हम बोले ये तो घर-घर की कहानी बहना। हम बोले ये तो घर-घर की कहानी बहना।
बेटी तो सिर्फ बेटी ही होती है तेरी या मेरी नहीं होती। बेटी तो सिर्फ बेटी ही होती है तेरी या मेरी नहीं होती।
जब बहनें अपने घर जाती चुपके आँखो से नीर बहाता, वह भाई कहलाता। जब बहनें अपने घर जाती चुपके आँखो से नीर बहाता, वह भाई कहलाता।
कईसे लूटी सावन के बहार हो। सवनवा में ना अइबो ननदी। कईसे लूटी सावन के बहार हो। सवनवा में ना अइबो ननदी।
विधाता क्यों फिर नारी बनाई, हर घर जब होती है पराई। विधाता क्यों फिर नारी बनाई, हर घर जब होती है पराई।