उसूल अब कोई मायने नहीं रखते भारी जेब अब इंसाफ होते हैं। उसूल अब कोई मायने नहीं रखते भारी जेब अब इंसाफ होते हैं।
फिलहाल तेरा ये आना ख्वाबों में अच्छा ना लगता है। फिलहाल तेरा ये आना ख्वाबों में अच्छा ना लगता है।
सब भूलकर मैं इन्सान में इन्सानियत बनकर हर एक इन्सान की रगों में दौड़ता..... सब भूलकर मैं इन्सान में इन्सानियत बनकर हर एक इन्सान की रगों में दौड़ता.....
मँगवाई थी तीन चाय की प्याली चल पड़ा था बाजार की ओर लेकर हाथ में थैली। मँगवाई थी तीन चाय की प्याली चल पड़ा था बाजार की ओर लेकर हाथ में थैली।
हम सबने मिलकर ठाना है अब अपने भारत को स्वच्छ बनाना है। हम सबने मिलकर ठाना है अब अपने भारत को स्वच्छ बनाना है।
ऐसे लोगों से हुई दुनिया ज़हरीली है रिश्तों में घनघोर निराशा फ़ैली है ऐसे लोगों से हुई दुनिया ज़हरीली है रिश्तों में घनघोर निराशा फ़ैली है