मैं अपनी बीती क्या सुनाऊँ, दर्द ने दस्तक़ दी है,ग़मों से गुफ़्तगू होती है। मैं अपनी बीती क्या सुनाऊँ, दर्द ने दस्तक़ दी है,ग़मों से गुफ़्तगू होती है।
इक तुम ही तो थे सारे सफर का हमसफ़र ! इक तुम ही तो थे सारे सफर का हमसफ़र !
मेरी बस उस ख़ुदा से लौ लगी है, मुझे दुनिया से कोई सरोकार नहीं मेरी बस उस ख़ुदा से लौ लगी है, मुझे दुनिया से कोई सरोकार नहीं
होती है मुलाकात मेरी जब भी तन्हाई से करती हूँ बातें ढेरों मैं अपनी ही परछाई से। होती है मुलाकात मेरी जब भी तन्हाई से करती हूँ बातें ढेरों मैं अपनी ही परछाई स...
पलकों के इन झरोखों से थोड़ा पानी बरसा है पूछती हैं वो बूँदें जो करती हैं रुसवाइयाँ पलकों के इन झरोखों से थोड़ा पानी बरसा है पूछती हैं वो बूँदें जो करती हैं रुसवा...