STORYMIRROR

Shishir Majumdar

Abstract

3  

Shishir Majumdar

Abstract

ज़िंदगी छोटी है

ज़िंदगी छोटी है

1 min
339

और एक दिन गया, फिर एक दिन जायेगा

आज कुछ हुआ, और कल भी कुछ हो जायेगा।

समय कभी न ठहरा है, और ना ही कभी ठहरेगा

रुक तो सिर्फ आदमी सकता है, उम्मीद कभी नहीं रुकेगा।


इंतज़ार कब तक करोगे, कल परसों या अगले साल का

हर पल एक नया मौका है, जिंदगी को बदलने का।

चार दीवारों को बीच सिर्फ जिस्म बांद सकते है

सोच तो कही भी उड़ान भर ही लेगा।


विचारों को करो बुलंद और अपने आप को देखो

सफलता तो तुम्हारा पता ढ़ूँढ़ ही लेगा।

ज़िंदगी छोटी है, और कर्म बहुत बाकी

ईंधन कम है, और रास्ते बहुत बाकी।


कल के भरोसे कही रह न जाये काम अधूरा

आज हाथ में है, तो कर ही लो उसे पूरा।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract