वो तो माँ है मेरी
वो तो माँ है मेरी
जो रुलाती भी है जो हँसाती भी है
प्यार की थपकियाँ दे सुलाती भी है
कौन है कौन है कौन है कौन है
वो तो माँ है मेरी --3
बात करता हूँ अँखियों हीं अँखियों में जब
जान लेती व्यथा मेरे हृदय की तब
बिन कहे ही समझ लेती हर बात को
सो न जाऊँ मैं तब तक जगे रात को
चाकरी चाँद सूरज सी पल पल करे
गंग अमृत की हृदय से झर-झर झरे
थाम उँगली वो अँगना डुलाती भी है
पाँव रख आगे चलना सिखाती भी है
कौन है कौन है कौन है कौन है
वो तो माँ है मेरी --3
दूर होकर भी हरदम रहे पास वो
है ज़मी और है मेरा आकाश वो
जब कोई चोट आकर लगाता मुझे
हाथ उसका कवच बन बचाता मुझे
दर्द अपना छुपा मुस्कुराती सदा
और होकर मगन गुनगुनाती सदा
ले हिलोरें पवन सी झुलाती भी है
बन मुरलियाँ मुझे वो लुभाती भी है
कौन है कौन है कौन है कौन है
वो तो माँ है मेरी --3
उसके आँचल की खुशबू लुभाती मुझे
दूर कितना रहूँ खींच लाती मुझे
ईश रब कौन है मैं नहीं जानता
मैं तो उसको ही अपना ख़ुदा मानता
उसके दामन में सुख चैन पाता हूँ मैं
लौटकर कण्ठ जब आ लगाता हूँ मैं
हर तमन्ना वो पूरी कराती भी है
वो तो मंज़िल का रास्ता दिखाती भी है
कौन है कौन है कौन है कौन है
वो तो माँ है मेरी....।