वहां भी तो ...!
वहां भी तो ...!
वहां भी तो...!
हम अपने ही घर में
बंद हैं,
द्वार भी!
आत्मन के द्वार की चाभी
कहां किसी ने पास रखी है!
यहां सब बंदी है
वहां जाने पर पाबंदी है
सब दूर वही द्वंद्व है
हर तरफ देखो द्वंद्वी है
मंडी में कितनी मंदी है
कौन यहां नहीं कैदी है
सामने पर्वत सी कठिनाई है
तो कहीं अश्रुओं की नदी है
अभी देखो कितनी गर्मी है
अभी देखो तो सर्दी है
कौन यहां पर तबीब है
और कौन नहीं दर्दी है
न यहां पुलिसवा है
न उसकी वर्दी है
जमाना बड़ा बेदर्दी है
कोई बात अब नहीं अखरती
यह सच है कि यहां मोदी है,
वहां भी तो शिव की गोदी है!
