उसको अलविदा कहा।
उसको अलविदा कहा।
वो बहुत हसीन थी,
बाल खुले रखा करती थी,
हवाएं उसकी जुल्फों से खेला करती थीं,
उसके गालों में गड्ढे पड़ते थे,
मुझे वो एक भंवर से लगते थे,
जब कभी भी,
उन पर नजर पड़ती,
उनमें डूब जाता था,
वो याद बनकर,
दिमाग में प्लेबैक की तरह चलती थी,
चेहरा कभी मुस्कराता,
और कभी गंभीर हो जाता,
ये सिलसिला चलता रहता।
मुझे वो एकदम अलग लगती थी,
शायद दुनिया में,
सबसे हसीन,
जिस दिन कभी नजर न आती,
दिल सवाल उठाता,
आज वो दिखी नहीं,
कहां होगी,
कैसे होगी,
फिर दिमाग दिल को समझाता,
वो तो अब,
किसी ओर का हाथ थाम चुकी,
निकाल बाहर कर,
और किसी से आंखें मिला,
लेकिन दिल का मामला,
होता ही कुछ अजीब,
जो नहीं मिल सकता,
ये कमबख़्त उसे ही ढूंढता।
आखिर बहुत हिम्मत जुटाई,
और उसे टाटा बोला,
कहीं और हाथ बढ़ाया,
लेकिन नामुराद जवाब नहीं आया,
लगता वो भी खफा है,
उसको भी,
अपना हिसाब किताब करना,
शायद पहले घुटने लगवाएगी,
फिर थोड़े नाज नखरे दिखाएगी,
तब जाकर हाथ बढ़ाएगी,
और अगर हुई किस्मत अच्छी,
तो गले से लगाएगी।
समाप्त।