उम्मीद का दीपक
उम्मीद का दीपक
यह कैसा अंधकार हर ओर अड़ा है
मानव जंजीरों में जकड़ा पड़ा है
भूल तो कुछ हुई होगी हमसे
जो हाट चौबारा सब सूना पड़ा है
दर्द ही दर्द तेरी सृष्टि के अंतस बसा है
अपना ही अपनो से दूर खड़ा है
सुना है ये हमने जब तिमिर घना हो
उजियारे की किरण लिए तू पास खड़ा है
ओ मेरे परमेश्वर बस सहारा तेरा है
मेरे उम्मीद के छोटे दीये में आसरा बड़ा है
खुशियों के बुझते हुए इन दीयों को
मेरा वतन हथेलियों से थामे खड़ा है।