तुलसी दास
तुलसी दास
पथ भ्रष्ट हो जाता जब समाज
धर्म का अधर्म का हो जाता समाप्त।
भय कहर का तांडव चहुँ ओर
भाग्य भगवान को कोसता मानव
मर्यादा की गौरव गरिमा सत्य
सनातन को देता दुहाई आवाज।
ईश्वर स्वर का करता गुहार
तब ईश्वर स्वयं भक्त अंश में
परम् प्रकाश परीक्षा का समय
काल का अवतार।
आत्मा राम निश्चल अविरल
परम् प्रकाश आत्मा राम हुलसी
घर आंगन में जन्मे तुलसी दास।
परम् परीक्षा की इच्छा की कठिन
परीक्षा त्यागा हुलसी आत्मा राम ने प्राण।
बालक तुलसी के सर पे साया
माँ बाप नहीं रहा आत्मा राम की आत्मा का
राम नाम बच गया सिर्फ साथ।
दासी चुनिया की गोद और
आँचल बचा रामबोला का भाग्य।
दासी चुनियां की गोद
आँचल का रहा नहीं बहुत साथ
चुनियां भी दुनिया छोड़ गयी
राम बोला हुआ अनाथ।
काशी का बसी बन गया
राम बोला अनाथ बची आश थी
अनाथन के नाथ विश्वनाथ की
कृपा किया विश्वेश्वर ने मिला
नरहरि दास का साथ।
वेद वेदांत की दीक्षा शिक्षा
पायी शेषसनतं का घर बना
राम बोला के युवा यौवन का
दर्शन मार्गदर्शक का समय काल।
हुई सगाई रत्नावली संग
जीवन संबंधो में आकर्षण का
पल प्रहर दिन रात मधु मास प्रवाह।
भूल गए राम बोला बोलना
स्वयं की दुनियां में पहचान
राम का नाम।
काम वासना में डूब गया
रामबोला कलिकाल का
भौतिक शुख ही नश्वर शरीर
स्वर ईश्वर को दिया बिसार।
रत्नावली जीवन की कठिन
परीक्षा में वीणा पाणी
अवतार राम बोला को हाड़ मांस की
देह का यथार्थ सत्यार्थ का
दिया ज्ञान।
तब राम बोला के मन में
जागा राम चरण अनुराग।
इधर उधर भटक खोजन लगे
राम को प्रेत मिला मार्ग राम का
दिया बता।
रामबोला क
ाशी में राम कथा
सुनने जाते हर संध्या को
खोजन को राम।
बहुत दिन बीत गए मिले नहीं
कही भी राम कोढ़ी का वेष बनाकर
आते रामकथा सुनाने को
प्रति दिन राम भक्त हनुमान।
एक दिन जिद कर ली तुलसी
ने कोढ़ी कौन है क्यों है इसमें
राम चरण का इतना अनुराग।
हाठ कर बैठे तब प्रगटे हनुमान
राम मिलन की राह बताकर
अंतर्ध्यान हुए हनुमान।
रामबोला चल पड़ा खोजने
राम को चित्रकूट के घाट।
संतों की भीड़ बहुत चन्दन
घिसते तुलसी दास
करुणा जगी करुणा सागर में
भक्त की भक्ति की आसक्ति
में असमर्थ हुये प्रभु श्री राम।
स्वयं चन्दन से मस्तक अभिषेख
किया रामबोला का रामबोला हुए
हुलसी के दासी चुनियां के तुलसीदास
आत्मा राम के युग प्रकाश।
आत्मा राम हुलसी की आत्मा
माँ बाप की इच्छा की परीक्षा
साकार परिणाम।
रत्नावली का ज्ञान प्रभु
प्रेम वैराग्य को जग ने जाना
तुलसी हुये तुलसी दास।
दासी चुनियां की त्याग
मर्यादा का मर्यादा मूल्य का
राम भक्त अवतार।
रामचरित मानस विनय पत्रीका
दोहावली आदि ग्रंथो का किया
आविष्कार।
रामचरित मानस हुलसी
तुलसी आत्मा राम
का जीवन जीवन दर्शन
दासी चुनियां के त्याग ।
नरहरि का नारायण दर्शन
रत्नावली का अनमोल
ज्ञान बैराग्य।
यूँ ही नहीं बन जाता तुलसी
बिन कृपा राम के बिन चरण
अनुराग राम के ।
समय काल की
भठ्ठी आग में तपना पड़ता
भाग्य भोग का करना पड़ता है
त्याग।
तब जन्म लेता है तुलसी
कृतज्ञ हो जाता युग संसार।