टूटती संस्कृति छूटते संस्कार
टूटती संस्कृति छूटते संस्कार
आधुनिक युग में कहाँ प्रणाम है
हाय हेल्लो करते निकलते सरकार है ।
संस्कृति को मुँह चिढाते ये महाराज हैं
क्या कहे इन बच्चों को तोड़ते संस्कार हैं।
घर परिवार का ख़ूब उड़ाते मज़ाक़ हैं
माता पिता को सिखाते आज अंग्रेज़ी हैं।
कहते है भूल गए हम अपनी मातृभाषा है
हिंदी में नहीं दिलचस्पी है अंग्रेज़ी भाती है ।
नमस्ते प्रणाम की नहीं अब आदत है
हाथ मिलाना अब हमारी संस्कृति है ।
देश में भी अब परदेश याद आता है
पश्चिमी संस्कारो को मानते संस्कृति है।
किस परिवेश में पल रहे आज बच्चे हैं
स्वदेशी भूल विदेशी को ख़ूब अपनाते हैं।
खेत खलिहानों से भी आज बहुत दूरी है
आज अपनी टूटती संस्कृति संस्कार छूटते हैं।
कुछ नहीं तो लाज घर परिवार का रख लो
अपनो को झुक कर नमस्ते प्रणाम कर लो ।
हर अपने बूढ़े बुज़ुर्ग का हाल चाल पूछ लो
माता पिता को थोड़ा प्यार सम्मान कर लो ।