STORYMIRROR

SAMRIDDHI PRIYA PATHAK

Inspirational

4  

SAMRIDDHI PRIYA PATHAK

Inspirational

सुन लो निंदा रोज

सुन लो निंदा रोज

1 min
387


जग में संत कबीर ने,

एक दोहा रचा नेराय।


पूत चरित निर्माण को,

है जो पूत उपाय।।


निंदक नियरे रखिये,

आँगन कुटी छवाय।


बिनु पानी साबुन बिना,

निर्मल करे सुभाय।।


पर कौन मुख ही निंदा,

करता है जग माय।


तो कैसे निंदक जानूँ,

दे दो पाथ बताय।।


हे सुजान! जग के सुनो,

इक मेरी भी राय।


इसे कभी जीवन में,

चल देना नहीं विहाय।।


जग में निंदक की सुनो,

अति मुश्किल है खोज।


आपन निंदक ही बनो,

सुन लो निंदा रोज।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational