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Abhinav Choudhary

Inspirational

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Abhinav Choudhary

Inspirational

सफर ज़िंदगी का!!

सफर ज़िंदगी का!!

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हां पता है मुझे कि खामियां हैं,

खुश हूं मैं, तो क्या हुआ की परेशानियां हैं।

अभी तो बस आगाज़ है ये ज़िंदगी का,

बस कुछ ही किस्से गुज़रे हैं, लिखने मुझे अनेकों कहानियां हैं।।


अभी कुछ ही किस्से गुज़रे हैं, कई नगमे लिखना बाकी है,

अभी कुछ ही लम्हें बीते हैं, कई घड़ियां गिनना बाकी है।

तो क्या हुआ कि कांटे हैं इन राहों पर,

क्यों रोक लूं कदम मैं, अभी मंज़िल तक पहुंचना बाकी है।।


क्यों रोक लूं कदम यहां, तस्वीर नहीं ये मंज़िल की,

काटों पर चल कर आया हूं, अब फिक्र नहीं किसी मुश्किल की।

सच है कि सहम जाते हैं लोग मझधार में,

क्यों डरूं बीच सागर मैं, जब है इंतज़ार साहिल की।।


क्यों डरूं बीच सागर मैं, जब साहिल इतनी पास है,

क्यों अंधेरों से भागूं मैं, जब साथ हौसलों की आस है।

हां माना आंधियां ढेरों हैं इस ज़िंदगी में,

कैसे हार जाऊं इन आंधियों से, आख़िर जीत भी तो अपनी खास है।।


कैसे हार जाऊं इन आंधियों से, जब जीतना ही जाना है मैंने,

कैसे फेर लूं मुख जीवन से, बहुत करीब से इसे पहचाना है मैंने।

अब जब ले रही है ज़िंदगी, इम्तिहान हौसलों की,

कैसे कर लूं रुख मैकशी का, जब हौसले को ही माना पैमाना है मैंने।।


कैसे कर लूं रुख मैकशी का, जब महफिल है सजी हौसलों की,

कैसे लड़खड़ा जाऊं आकर यहां, जब बात है छिड़ी मंजिलों की।

अब जब हो चुका है कश्ती और साहिल का मिलन,

क्यों डर जाऊं इस मुकाम से, ये जगह नहीं है बुजदिलों की।।


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