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मिथलेश सिंह मिलिंद

Others

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मिथलेश सिंह मिलिंद

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पक्षी संरक्षण

पक्षी संरक्षण

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१-उदास पेड़

शाम राह देखते

पंछी आ बैठे।।

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२-कोयल कूक

विलुप्त प्राय अब

कान तरसे।।

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३-मोर विहग

याद आता अक्सर

मेघ गरजे।।

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४-गौरैया झुण्ड

कहां खो रहे अब?

घोसले बिन।।

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५-अगली पीढ़ी 

अवशेष देखेगी

पंछी अब के।।

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