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Amit Tiwari MEET

Inspirational

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Amit Tiwari MEET

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पितरों को सादर स्मरण

पितरों को सादर स्मरण

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पुरखे जगत से कभी विदा नहीं होते ,

संतति के कण कण में रचे बसे होते हैं.


मज्जा नाड़ी रक्त में प्रवाहित होते हैं

चेतना प्रज्ञा स्मृति में समाहित होते हैं


देहरी आँगन द्वार दीवार में ढले होते हैं

ऐनक कुर्सी मेज कलम सब में बसे होते है


तीज त्यौहार प्रथा परम्पराओं में होते हैं

भूल चूक होते ही तस्वीरों में प्रकट होते हैं


हौंसलों उम्मीदों और सहारों में भी छिपे होते हैं

विचारों क्रियाओं विरासतों में अवश्य ही होते हैं


बोल चाल भाषा शैली हाव भाव सबमें होते हैं

पुरखे जगत से कभी विदा नहीं होते है


ज्येष्ठ भगिनी के चेहरे के पीछे छिपी माँ में उपस्थित होते हैं

ज्येष्ठ भ्राता के उत्तरदायित्वों में पिता ही विराजित होते हैं

पुरखे जगत से कभी विदा नहीं होते.....


पुरखे आसमान से नीचे आते आशीर्वादों में होते हैं

पुरखे धरती से ऊपर जाती श्रद्धाओं में होते हैं......

पुरखे जगत से कभी विदा नहीं होते हैं !


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