तुम मुझे प्रेम करो और करे उतना ही प्रेम मुझे तुम्हारी संतति भी तुम मुझे प्रेम करो और करे उतना ही प्रेम मुझे तुम्हारी संतति भी
पुरखे जगत से कभी विदा नहीं होते , संतति के कण कण में रचे बसे होते हैं! पुरखे जगत से कभी विदा नहीं होते , संतति के कण कण में रचे बसे होते हैं!
मझधारों की रहे जिंदगी ख्वाहिश हो जिसकी अपार, मझधारों की रहे जिंदगी ख्वाहिश हो जिसकी अपार,
ये समाज-तन-मन और जीवन, अनुपम हमको प्रभु का वरदान। ये समाज-तन-मन और जीवन, अनुपम हमको प्रभु का वरदान।
निज संतति के सुख हित सहते अगणित दुख, मात-पिता के संग ही पूरा होता एक परिवार। निज संतति के सुख हित सहते अगणित दुख, मात-पिता के संग ही पूरा होता एक परिवार।