नतमस्तक हूँ
नतमस्तक हूँ
लो मैं नतमस्तक हूँ अब तो मान जाओ ना
पुराने लम्हों को ढूँढ कर मेरे पहलू में आ जाओ ना।
स्मृतियों के समुन्दर में बूँद बूँद डूबी हूँ
चुपके से मन की सीप में तुम भी बस जाओ ना।
सिलवटों की खुरदरी ज़मीन पर सोती हूँ
रात के मद्धम पहर में आँखों में नींद भर जाओ ना।
यादों के नश्तर चुभते है पलकों पर आँसू अटके है
अपनी कमीज़ की पनाह दे जाओ ना
गुफ्तगू को ढूँढते लब बड़े खामोश है
कानों में गुनगुना लूँ एक बार गले लग जाओ ना।
अटकी है मेरी जान तुम पर जिंद से दामन छूट रहा
मंद हो रही धड़कन में चंद साँसें भर जाओ ना।