नई सुबह
नई सुबह
ये रुके हुये लम्हे
फिर चलेंगे यूं ही,
ये थमीं हुई सांसें
फिर चलेंगी यूं ही,
ये मंजर बीत जायेगा,
फिर नई सुबह लाएगा,
सोच को कौन रोक पायेगा,
नई सुबह को कौन हटाएगा।
कहीं अब न रुकना होगा,
इससे हमें अब लड़ना होगा,
जीत से बढ़कर अब जीना होगा,
कुछ रुके लम्हों को सजोना होगा।
क्यों न इसे मीठी याद बना ले,
अपनी ढलती शाम बना लें,
यूं ही‘करोना’ हार जायेगा,
यह संकल्प नई सुबह फिर लाएगा ।।