नारी मूरत नहीं
नारी मूरत नहीं
नारी तू भावों से भरी
नारी भी हाड़ मांस की बनी
जीता जागता संवेदना नाम।।
हृदय मस्तिष्क संग बहता
उसके रगों में रक्त कण ।
सोच समझ संस्कृति।
संस्कार की प्राणी प्यारी प्राण।।
नारी भी मां बाप की कोख में जन्म लेती पलती नौ माह।।
बढ़ती पड़ती राष्ट्र समाज में।
अपनी भागीदारी करती।
है पुरुष प्रधान समाज के
मानव नारी संग देवी सा फिर क्यो व्यहार।।
जीवन मूल्यों महिमा गरिमा।
से नारी का ना हो सुनियोजित बहिष्कार ।।
नौ रातों में नवदुर्गा देवी की ।
अर्घ आराधना नारी मर्यादा की।
प्रेरणा सम्मान।।
नारी ज्वाला आँगरी।
नारी ओस की बूंद समंदर।
की गहराई ऊंचाई आकाश।।
नारी कोमल कली ममता।
मोम दृढ़ता की चट्टान।
नारी करुणा की गागर में सागर।।
घृणा की घाव गंभीर
दर्द की मरमहम तलवार तीर।।
नारी सीता ,सावित्री ,राधा ,पार्वती
रुक्मिणी नारी। कैकेयी ,मंथरा ,सूर्पनखा।
नारी आधी शक्ति ब्रह्मांड।।
नारी देवो की देवी ।
नारी जीवन दायनी।
नारी मोक्ष्य दायनी।
नारी गंगा, जमुना, कृष्णा।
कावेरी ,गोदावरी ।
नारी पाप नासिनि।
नारी मुक्ति दायनी।
नारी बीर पराक्रम की बाज नारी
जंजाल नारी प्रेम का पाश।
नारी जीवन उपहार।
नारी भरणी नारी तारणी।।
नारी बेटी नारी माँ नारी
से जन्मा भगवान सांसार।।
नारी को मूरत मत समझो।
नारी वेदना संवेदना है सारी।
नारी कमजोर नही।
नारी जिस्म फरोस नही।
नारी जग कल्याणी।
नारी धर्म धंधा नही ।
नारी कर्म वंध्या नही।
नारी वन्ध्या वादिनी।
नारी प्रभा प्रबाह।।
नारी नीर जैसा चाहो वैसा प्रवाह।
नारी पुष्प की सुगंध।
नारी दुबिधा की दुर्गंध।
नारी शौर्य वीरता की परिभाषा।
नारी प्रेम प्यार सम्मान पिपासा।।
नारी धीर धैर्य अभिलाषा।
नारी पुरुषों की विश्वास आशा।
नारी गौरव गरिमा की भाषा।।
नारी अहं अभिमान माँ सी
नारी अर्धागिनी बामांगी।
नारी सृष्टि की दृष्टि दिशा ।।
नारी पृथ्वी नारी जीवन की दाता
सत्य है नारी ;जत्र्य पूज्यते रमतें
तत्र देवता :नारी के भावों की
समझो पहले भाषा।।
नारी नरोत्तम पुरुषोत्तम की जननी।
नारी कुटिल कुसंगति की काली।
नारी पंच तत्व तथ्य की मूल ।
नारी वस्तु नही नारी विषय भोग नही।
नारी जीवन का अनमोल रत्न ।
नारी बाला हाला प्याला मधुशाला।।
नारी हीरा नारी माणिक हृदय भाव।
स्नेह सलिल सरिता हसिता बनिता।
नारी नूपुर नारी मुकुट नारी बैभव।
बल की शोभा ।।
नारी मृगनयनी नारी बरछी कटार।
नारी संकल्प सिद्ध की आधार।
नारी से वर्तमान नारी इतिहास का सार।।
नारी विकट विकराल।।
नारी काल कराल।
नारी प्रतिशोध की नागिनी।
जीवन रक्षा की शेरनी।
नारी अबला कमजोर नही।
नारी क्षमा शीलता का उपकार।।
नारी त्याग तपस्या बलिदान ।
की हाड़ मांस की भाव भावना
सक्षम संवेदना का पुरस्कार।।
नारी पाप पापी को देती नकार।
नारी तिरस्कार का प्रतिकार।
नारी नकारात्मकता की मर्दक
नारी सौम्यता की काया सुंदर।।
नारी नित्य निरंतर सत्य सनातन
नारी आदि अनादि पुरातन।।
नारी साहस संघर्षो का सत्य
सत्यार्थ नारी अंधेरो में भटके का प्रकाश।
नारी मर्म धर्म का निर्वाह।
नारी नश्वर से नश्वर यह संसार।
नारी दिव्य नारी भव्यता का व्यवहार।
नारी कमलनी नारी दलदल किचंड।
नारी मैत्री नारी शत्रु नारी समग्रता संसार।।
नारी सिर्फ देवी नही
निश्छल निर्विकार
नारी जगत आधार।।