मुस्कुराहट ३
मुस्कुराहट ३
जिंदगी की दौड़ में हम कितने अकेले है
रूह का पता नहीं जिस्मो के मेले हैं
हर इंसा के चेहरे पर परेशानियों के रेले है
जान है एक पर कईं जिंदगियाँ के झमेले है
जाने कहाँ गुम हो गई वो चहरे की मुस्कुराहटें
वो बचपन की शरारतें वो जवानी की नादानी
जैसे किसी ने छिन ली हो सारे कायनात की कहानी
क्यूँ ना आज हम फिर एकवार कोशिश करें
डुंड लाएं उस संदुक को जिसमें कैद है वो मुस्कुराहटें
वो शरारतें वो मौजों की रवानी
खोल दे उस ताले को जिससेे फिर से रौनक हो ये जिंदगानी
ना फिर हो कोइ उदास ना हो कोई जवानी बेमानी
आओ मिल कर सब खोजें वो चेहरे की मुस्कुराहट रुहानी।