मुझे तन्हाइयाँ पसंद है
मुझे तन्हाइयाँ पसंद है
मुझे तन्हाइयाँ पसंद है,
वो मेरा साथ नहीं छोड़तीं
मैं उड़ता हूँ दिन में,
वो कभी मेरी रात नहीं छोड़ती !
मैं देखता हूँ तन्हा अपने को आज में,
ये मेरे बचपन से चिपक जाती हैं ,
मैं देखता हूँ अपने को कल में अधूरा
जाने कैसा ये मेरा आज पूरा कर जाती हैं !
अब मैं किसी को कैसे समझाऊँ
कैसे यक़ीन दिलाओ कि मुझे मेरी
तह्याइयों पर ख़ुद से भी ज्यादा
कितना यक़ीन हो चला हैं !