मन का मैल
मन का मैल
रोज़ साफ़ होता है घर हमारा
पथ और साथ में चबूतरा
पर क्या किसी ने कभी देखा
या सोचा कि कैसे करे मन का मैल साफ़
कोई न कभी सोचता, न कभी समझता
करना चाहिए इसका भी उपचार
बाहरी रूप सुन्दर होने से केवल
न होगा मन का मैल साफ़
करे सौ बातें दुसरो के बारें में हम
क्या झाँक के देखा है कभी अपने अंदर,
ऐसे क्यों है हम
शांत और प्रेक्षक मिलते नहीं आजकल
जहाँ कहीं भी देखो सिर्फ मिलते है गप्पी
चलो बांटें एक दूसरे का दुःख और दर्द
बिना किए किसीका तिरस्कार
आज नहीं तो कल जाना है सबको
चलो चलते है करके मन का मैल साफ़।
