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Abhishek Yadav

Abstract

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Abhishek Yadav

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"मित्रता"

"मित्रता"

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हमने पूछा मित्रता की परिभाषा कोई तो बदलाओ

सबसे पहले सबने कहा पहले खुद को बदल के आओ।


उन्होंने कहा हम करते व्यापार मित्रता का

पहले इस मित्रता का बाजार तो सीख के आओ।


काम निकालना, जरुरत पर बाते करना ये मित्रता परिभाषित हो

तुम बता दो तुम कौन सी मित्रता से वाकिफ हो।


मैंने कहा मै तो कृष्ण- सुदामा की पवित्रता को मित्रता मानता हूं

उसने कहा ये कौन सी मित्रता है इसे मै नहीं जानता हूं।


बात बात में उसने मुझको अपना मित्र बनाया

काम निकालूंगा तुमसे भी इतना कहकर गले लगाया।


नाराज ना होना इतना सब तो आपस में चलता है 

मित्र भला अब आज कभी सॉरी भी कहता है।


गालियां दी उसने मुझको थोड़ा सा बाजार सिखाया

साथ मिला ऐसा मित्र जिसको मैंने सपने में भी ना पाया।


आदर्शवादी था तो मै उस बाजार में टिक ना पाया

ठोकर मारकर उन लोगों ने मुझको एक दिन सिखलाया।


आज मित्रता यही बची है यही धर्म का न्याय

मत ढूंढो इस बाजार में कोई नहीं मतलब के सिवाय।


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