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Kavi Diptesh Tiwari

Drama

5.0  

Kavi Diptesh Tiwari

Drama

मेरे कुछ अल्फाज़

मेरे कुछ अल्फाज़

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याद आएगी मेरी

मुझसे जुदा होने के बाद।

रुकेंगी नदियाँ भी

लेकिन समंदर आने के बाद।


कौन कहता है कि

वक्त फिसलता नही हाथो से ?

जान लोगे तुम भी

रेत को मुट्ठी में लेने के बाद !


झूठ बहुत साफ होता है,

सच की एक कड़ी में।

ये भी जान जाओगे तुम

शीशे से मिलने के बाद।


पैसे तो बहुत हैं

लेकिन उड़ाता कम हूँ,

मयखाने बहुत हैं

लेकिन जाता कम हूँ,


अभी तो पिता की जीविका है

बहुत सोच के कहीं लगाऊंगा।

लेकिन एक दिन मैं भी

रोमांच के साथ

पैसे खूब उड़ाऊंगा...!




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