में वक़्त हुँ ----------
में वक़्त हुँ ----------
अहंकार ना कर आपने औधे का
मिट्टी में मिला दूंगा
जो आज तेरा वजूद है
पल झपकते ही उसे मिटा दूंगा।
खुशियाँ मनाले अपनी जीत का
पल भर का यह मेहमान है,
हार और गम भी
सामना तुझीको ही करना है।
क्या लेके आया था तू आपने साथ
किस बात पे तुझे इतना गुरुर है ?
मुझसे ही सुरु मुझसे ही ख़तम
होता ये सारा संसार है।
ना कोई अपना, ना कोई पराया यहां
अपना कर्म ही है तेरा साथी,
तेरा साया ही एक दिन
छोड़ देगा साथ यहां,
तेरे कर्म ही तय करेंगे
क्या होगी तेरी नियति
मत सोचतू ये मत सोच
तू किसी की नजर में नहीं है,
तेरे सारे कर्मो का हिसाब
मेरे पास है,
मेरे आगे कहाँ कुछ छुपा है !
कितने युग आये, कितने ही युद्ध हुए
कोई भी मुझे बाँध नहीं पाया
मेरे प्रहार में तो दम बहुत है
पर आवाज नहीं है।
मैं बदलता रहता हूँ हमेशा
तुझे बदलने के लिए
इतिहास दोहराता हूं हमेशा
तुझे सबक सिखाने के लिए,
मेरे आगे ना कोई टिका है
ना कोई टीक पायेगा
ना समझ ! तू भी संभल ले
वरना तेरा ये अहंकार
तुझी को ले डूबेगा
में हमेशा थाहूँऔर रहूँगा
पर तेरा वजूद,
एक ना एक दिन मिटेगा
क्योंकि मैं वक़्त हूँ
ना कभी रुका हूँ
और ना कभी झुकूंगा।