Mard
Mard


बहुत सी बातें हो गई
धारा 377 की
बहुत सी कविताएं
लिख डाली औरतों पे,
आज बात करुंगा मर्दों की,
आप और हम जैसे मर्दों की,
आम आदमी मर्दों की
सारा जीवन बीत गया
अपनी सिक्शतों को छिपाने में
कयोंकि था वो मर्द,
यही तो है मर्द का दर्द
औलाद के लिए बेइंतहा प्यार,
जाहिर न कर पाया मर्द,
कयोंकि था वो मर्द,
यही तो है मर्द का दर्द
माँ पे कविताएं और
कहानियां लिखी गई
बाप पे नहीं
यही तो है मर्द का दर्द
ट्रेन में , या बस में उसे
सीट की थी ज्यादा जरूरत
लेकिन दे दी उसने औरत को
कयोंकि था वो मर्द
यही तो है मर्द का दर्द
सर्द ठंडी मे औरत को
दे दिया इकलौता कंबल
कयोंकि था वो मर्द
यही तो है मर्द का दर्द
दर्द से तड़पता रहा
और कहता रहा
मर्द को दर्द नही होता
यही तो है मर्द का दर्द
निर्भया को बचा नहीं पाया मर्द
कयोंकि वो छः थे नामर्द
और ये अकेला था मर्द
यही तो है मर्द का दर्द!