STORYMIRROR

Ashit Gupta

Inspirational

4  

Ashit Gupta

Inspirational

माँ

माँ

2 mins
251

माँ

तेरे प्यार को मैं शब्दों में क्या बयान करूँ,

कोशिश करता हूँ तो आँख भर आती है, 

तुझ से अब ये दूरी सही नहीं जाती है। 


जन्म दिया और चलना तूने सिखाया,

दुनियादारी से भी वाक़िफ़ तूने करवाया,

ग़लतियाँ तो मैंने करी होंगी हज़ार,

माँ, पर तूने मुझे हमेशा दिया प्यार।  

तेरी हर डाँट पर मैंने होगा तुझे कोसा,

फिर भी तूने मुझे ग़लती करने से रोका,

भगवान के घर में जब भी नाम आया,

मैंने तुझे हमेशा उस रूप में पाया। 


माँ

तेरे प्यार को मैं शब्दों में क्या बयान करूँ,

कोशिश करता हूँ तो आँख भर आती है, 

तुझ से अब ये दूरी सही नहीं जाती है। 


आंधी तूफान ने जब भी मेरा रास्ता रोका,

जिंदगी ने जब भी मुझे दिया धोखा,

काँच की तरह जहाँ मैं बिखर जाता,

तेरा प्यार ही मुझे वहाँ जीत दिलाता। 

मैं मूर्ख सोचता ये परिणाम है मेरी मेहनत का,

पर असल में ये होता तेरी रहमत का,

धन्यवाद है उस भगवान का जिसने तुझे बनाया,

वरना प्रेम के सागर से मैं रह जाता पराया। 


माँ

तेरे प्यार को मैं शब्दों में क्या बयान करूँ,

कोशिश करता हूँ तो आँख भर आती है, 

तुझ से अब ये दूरी सही नहीं जाती है। 


मेरी हर ख़ुशी पर जशन तूने मनाया,

आज तक अपने हर दुख को मुझसे छुपाया,

समझ ना पाया मैं कभी भी इस बारे में,

क्योंकि, ख़ुशी ही छिपी थी तेरे हर इशारे में ।

दुःख को छिपाया तूने कुछ इस तरह,

मछली के लिए बाहर की दुनिया जिस तरह,

दुःख से मैं आज भी हूँ अनजाना,

तेरी प्रेम की ममता को अब मैंने पहचाना। 


माँ

तेरे प्यार को मैं शब्दों में क्या बयान करूँ,

कोशिश करता हूँ तो आँख भर आती है, 

तुझ से अब ये दूरी सही नहीं जाती है। 


सूरज दिखा पर उजाला देख ना पाया,

माँ तेरे प्यार को मैं कभी समझ ना पाया,

प्यार है तेरा या रात की चाँदनी,

रोज़ गहरी होती जा रही इसकी रौशनी।

आज आँख खुली तो चेहरा तेरा नज़र आया,

लगता है बुराई से पर्दा आज ही उठ पाया,

समझ गया मैं की मेरी जिंदगी तू है,

माँ, तू मुझसे इतना प्यार करती क्यों है ??


माँ

तेरे प्यार को मैं शब्दों में क्या बयान करूँ,

कोशिश करता हूँ तो आँख भर आती है, 

तुझ से अब ये दूरी सही नहीं जाती है। 


Rate this content
Log in

More hindi poem from Ashit Gupta

Similar hindi poem from Inspirational