माँ की सूरत
माँ की सूरत
तारीफ में उसके क्या लिखूँ
जब उसकी लिखावट मैं ही हूँ
उसकी दुनियाँ रौनक करता
जब उसका सितारा मैं ही हूँ ||
शब्दों में उसें बांध सकूँ ना
शब्द का भावार्थ मैं ही हूँ
चेहरे पर मुस्कान सदा
उसकी भोली सूरत मैं ही हूँ ||
जिसके लिए वो सहती सब कुछ
उस खुशी का कारण मैं ही हूँ
उदाहरण उसका पेश करूँ क्या
उसके त्याग की सूरत मैं ही हूँ ||
स्नेह समर्पण की साक्षात मूर्ति
बलिदान का अर्थ भी मैं ही हूँ
तारीफ करूँ क्या उसके काम की
जब उपहार की सूरत मैं ही हूँ ||
हर रंग कर खुद में समाहित
उसके रंग का निखार तो मैं ही हूँ
दया करुणा की वो देवी है
उसकी उदारता की सूरत मै हूँ ||