माँ के भाव
माँ के भाव
समंदर की अठखेलियां करती
लहरें दिल को गुदगुदाती हैं।
नदियों की गुनगुनाती
धाराएं मन को हर्षाती हैं।
पर बाढ़, बाढ़ की विकराल हिलोरें
हमारी जिंदगी निगल जाती हैं।
प्रकृति की सुंदरता
माँ धरती का स्वरूप है।
प्रेम और ममता की ही भांति
क्रोध और दुख भी उसके भाव हैं।
