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Ankit Bhatt

Inspirational

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Ankit Bhatt

Inspirational

कर्णावती

कर्णावती

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एक राजा था गर्वभंजक

नाम जिसका महिपति

थी उसकी संतान एक

सात वर्षीय पृथ्वीपति

राजा था शूरवीर पर

रणभूमि में प्राण वो हार गया

सात वर्षीय पृथ्वी को

सिंहासन वो निसार गया

थे शत्रु इस ताक में

सिंहासन अभी कमजोर है

वक्त की नज़ाकत

नाज़ूक सी राज्य में शोक है

एक पड़ोसी जा मिला

जो विदेश से आया उससे

नजावत ख़ां सोचा

अब गढ़ होगा उसके हिस्से

पर अनजान सब इस बात से

कर्णावती के नाम से

थी एक विधवा राजमाता

उसके शौर्य के बखान से

वो लाखों सैनिकों की

भीड़ से भीड़ी थी ये बात सच

था भोले का आशीर्वाद साथ

और विद्वानों का राग जप

नज़राना मांगा दस लाख का

शाहजहां के लाल ने

रानी को भी सूझ पड़ी चालाकी 

ये मौका कैसे टाल दें

शांत रही रानी

दखल कुछ भीतर तक बर्दाश्त किया

मांगा समय एक माह का

रणनीति को तैयार किया

संयम टूटा शत्रु का

अविवेकी जाल में आ फसा

अनजानी पहाड़ी राहों में वो

बिन सोचे आ घुसा

विवेक लौटा जब वापस

खुद को उसने फंसा पाया

निर्लज कपटी ने फिर

संधि का हाथ आगे बढाया

वो पत्थर वर्षा उसपर

जैसे प्रकृति का प्रकोप था

गढ़वाली सेना टूट पड़ी

जैसे महाकाली का श्लोक था

हार गए थे मुग़ल अब

बस त्राहिमाम का शोर था

खत्म हुआ राशन

और ना बाजुओं में अब जोर था

जिस सेना ने

आधा हिंदुस्तान था हराया

देख रहा था जमाना

गढ़वाल ने उसे भगाया

थोड़ी दया दिखानी अब

रानी की भी बनती थी

पर उसने भी मार पूरी

स्वाभिमान पर करनी थी

भेजा प्रस्ताव वैरी को

तुमको हमने माफ़ किया

चलो अरि के प्राणों को

महा जीवन दान दिया

पर हार अपनी तुम्हें

पूरे जग को दिखानी होगी

जाओ जीवित यहां से पर

नाक कटानी होगी

कटे नाक देख सैनिकों के

शाहजहां गुस्साया

पर नजावत खां को

जीवित ना वो देख पाया

किरकिरी हुई सल्तनत की

पहाड़ी राज्य से हारे थे

दूजी ओर नाक कटी रानी

कर्णावती के नारे थे

नमन उस वीरांगना को

जो अब तक पूर्ण ज्ञात नही

है शीश उसके चरणों में

जो युद्ध भूमि में डटी रही 

रहती कर्णावती बस अगर

शीश उसका झुक जाता

ना नाक कटी रानी पड़ता नाम

ना अंशु उसे लिख पाता।


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