कल्पना
कल्पना
सपनों की दुनिया होती बड़ी निराली,
रंग बिरंगे स्वप्न दिखाती,
कोरी कल्पनाओं में जीना सिखाती,
पर उनकी उड़ान कहां,
उनका अस्तित्व क्या,
उनसे हमारी पहचान कहां,
वो न कभी बताती,
वो तो चांदनी की भांति कहीं लुप्त हो जाती,
फिर कांच की भांति वो स्वप्न टूट जाता,
और हम वहीं उसी जगह खुद को खड़ा पाते,
और तब तक जिंदगी हमें अलविदा कह चुकी होती,
इसलिए वास्तविकता में जीना सीखो,
कल्पनाओं में रहोगे तो कुछ नहीं कर पाओगे,
जिंदगी भर स्वप्नों की दुनिया में रह जाओगे।