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Bhawna Sharma

Abstract

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Bhawna Sharma

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ख्वाब

ख्वाब

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नींद में भी तन्हाई है,

पलकों के नीचे फिर

एक दुनिया बनाई है


जहाँ ख्वाब तो देखे हज़ार,

पर न पूरा होने वाली

नींव भी रखवाई है


सपनों को फ़िज़ूल की बात

कह कर, खुद ही

अपने ख्वाब न पूरा करने की

कसम जो खाई है


फिर जाने क्यों कहते हो ?

नींद में भी तन्हाई है।


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