ख्वाब
ख्वाब
नींद में भी तन्हाई है,
पलकों के नीचे फिर
एक दुनिया बनाई है
जहाँ ख्वाब तो देखे हज़ार,
पर न पूरा होने वाली
नींव भी रखवाई है
सपनों को फ़िज़ूल की बात
कह कर, खुद ही
अपने ख्वाब न पूरा करने की
कसम जो खाई है
फिर जाने क्यों कहते हो ?
नींद में भी तन्हाई है।
