कारवाँ
कारवाँ
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मैं एक अदृश्य कारवां हूँ
तेरे लिए खड़ा हूँ
बहुत से भाग बिखरे पड़े हैं मेरे
शनैः शनैः जोड़ रहा हूँ
परिश्रम रंग लायेगा एक दिन
फल मिला है कुछ अभी
सब्र रख
कुछ का इंतेजार कर रहा हूँ
चला था मैं अकेले
सहस्त्र बन गया हूँ
क्रांति है ये हम सबकी
लौ जलाएं मैं खड़ा हूँ
सफ़र का मज़ा आ रहा है
मंजिल पर भी निगाह है
एक एक कदम बढ़ाऊँगा
ज़िंदगी भी तो जी रहा हूँ
कठिन है रास्ता मुझे पता हैं
आसान में कहाँ सफलता है
और असफल हो भी जाऊँ जो मैं
तो क्या इसमें बुरा है
मैं खड़ा हो जाऊंगा फिर से
यही तो मेरी कला है
साथ दो जो अगर तुम
फिर हम एक ज़लज़ला हैं
यूँ ही नहीं बना हूँ मैं
तभी तो छप रहा हूँ मैं
द्रणनिश्चय से शुरू किया
अब न रुक सकूँगा मैं
एक अदृश्य कारवाँ हूँ मैं
एक अदृश्य कारवाँ हूँ मैं।।