जननी
जननी
हे प्रभु ,
मेरी अंतिम सांस तक
तुमसे एक शिकायत रहेगी।
बेशक़ तुमने दिया है
सब कुछ
पर छीन भी लिया
सब कुछ।
जो सपने थे सांझे
वो अधूरे हुए
एक अकेले से कैसे
बोलो पूरे हुए ?
हां,
तुमने बख्शा है मुझे
भौतिक सुख
पर मानसिक शांति की
बलि लेकर ,
और वो सुख
देने लगा है अब
रेगिस्तान में नखलिस्तान
सा आभास मात्र।
अब तो तुमसे
है अंतिम ख्वाहिश
क्या पूरी करोगे ?
या फिर सिर्फ़
जन्मदाता होने का
तुम द॔भ भरोगे ?
हे ईश्वर ,
अगर वाकई
तुम ही देते हो जीवन
तो भविष्य में
असमय मृत्यु मत देना
किसी जननी को।