जीवन गीत
जीवन गीत
मर मर के जीने से तो अच्छा है,
जी भरके जीना फिर मर जाना!
जीवन है बहुत ही सुंदर प्रियवर,
मधुर है जैसे कोई गीत सुहाना!!
गुनगुना रहे हो अकेले में क्यों,
अरे सबको सुनाओ अब यह गाना!
तुम जबभी गाओगे वह भी गायेगा,
तुमने लिखा है जिसके लिए तराना!!
तुम ख़ुद को ही नहीं जान पाये,
यह ज़माना भी तुम्हें नहीं पहचाना!
बस ऐसे ही मत जाना जग से,
सब लोग कहें कोई था अनजाना!!
सारे दर्द सहो फिर भी तुम मुस्काना,
अपनी पीड़ा को प्रणय प्रसाद बताना!
सतत तप्त राह में चलते ही जाना,
वहीं पर जीवन का मिलेगा खज़ाना!!
तुम भले ही कुछ करो या न करो,
जीवन में कुछ तो बनेगा ही फ़साना!
बस सच को सच ही रहने देना तुम,
कभी भी न बनाना कोई भी बहाना!!
