Vaibhav Mishra
Abstract
अपने आंगन की
मुट्ठी भर राख दे देना
मेरे मरने के बाद तुम
मुझे तलाक दे देना
गुरूर
इश्क़ की नज़्...
कथनी करनी में भेद से जो जो भी डर रहा है, आँखें फाड़कर देख लीजिए हर ओर धक्के ही खा रहा कथनी करनी में भेद से जो जो भी डर रहा है, आँखें फाड़कर देख लीजिए हर ओर धक...
होश बेपरवाह है ,आलम की खूबसूरत गहराइयों से क्यूँ भला हो शिकायत ,संगदिल सनम तनहाइयोंसे होश बेपरवाह है ,आलम की खूबसूरत गहराइयों से क्यूँ भला हो शिकायत ,संगदिल सनम त...
बिखर रहा विश्वास अपनापन कहीं खो गया, देखकर यह दशा मानव की हैरान है कुदरत। बिखर रहा विश्वास अपनापन कहीं खो गया, देखकर यह दशा मानव की हैरान है कुदरत।
कभी कभी हाथ से, दाना चुग लेता है। उसे तो वह भी, नसीब नहीं। कभी कभी हाथ से, दाना चुग लेता है। उसे तो वह भी, नसीब नहीं।
स्वयं व्यवस्थित न होकर भी दूसरों को व्यवस्थित होने का पाठ यह पढ़ाता है स्वयं व्यवस्थित न होकर भी दूसरों को व्यवस्थित होने का पाठ यह पढ़ाता है
काजल की बिसात बस इतनी सी, दो बंद कोठियों के बीच ही अपना शहर बसाए। काजल की बिसात बस इतनी सी, दो बंद कोठियों के बीच ही अपना शहर बसाए।
वो कमरे में खिड़की के पास का कोना पेड़ के पत्तो में ढूंढती चांद की रोशनी। वो कमरे में खिड़की के पास का कोना पेड़ के पत्तो में ढूंढती चांद की रोशनी।
एक पल जो ठहरा बर्फ की चादर सा...... स्पर्श किया जब हथेली से तो लगा धुंधला का.. एक पल जो ठहरा बर्फ की चादर सा...... स्पर्श किया जब हथेली से तो लगा धुंधला का...
मरती संवेदनाओं को जिंदा करने का एक प्रयास कर जाएं। मरती संवेदनाओं को जिंदा करने का एक प्रयास कर जाएं।
हमारी जान बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल रहे हमारी जान बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल रहे
दीपक हूं और दीपक ही रहूंगा, तम का प्रलोभन छोड़ आया हूं दीपक हूं और दीपक ही रहूंगा, तम का प्रलोभन छोड़ आया हूं
इन संगीतों को सुनने से मिलता अनंत सुकून है मधुर संगीत में बसा अनंत शून्य है! इन संगीतों को सुनने से मिलता अनंत सुकून है मधुर संगीत में बसा अनंत शून्य है!
आईना बदल गया था अब जो पिछले साल पहचान बताने लगा था। आईना बदल गया था अब जो पिछले साल पहचान बताने लगा था।
प्रकृति का कार्य कभी न रुकता न थकता है हर रोज जैसे दिन और रात बदलता रहता है प्रकृति का कार्य कभी न रुकता न थकता है हर रोज जैसे दिन और रात बदलता रहता है
लौटने से पहलेे एक बार फिर, उन्हें जीवित कर देना तुम। लौटने से पहलेे एक बार फिर, उन्हें जीवित कर देना तुम।
सब मिल बोलो नमामि गंगे हर-हर गंगे माँ घाट तेरे आके सब हो जाते चंगे। सब मिल बोलो नमामि गंगे हर-हर गंगे माँ घाट तेरे आके सब हो जाते च...
कुछ अर्से बाद मानव होगा कठपुतली पशुओं का। कुछ अर्से बाद मानव होगा कठपुतली पशुओं का।
भवन रेत की जैसे ढहती है, जमीं के दर्द को पहचानो। भवन रेत की जैसे ढहती है, जमीं के दर्द को पहचानो।
मजबूर नहीं है हम हाँ, मजदूर जरूर हैं फिर भी आपने आपमें खुश हैं। मजबूर नहीं है हम हाँ, मजदूर जरूर हैं फिर भी आपने आपमें खुश हैं।
अपने ही परिवार को बिखराया है, हाय रे जिंदगी ये कैसा रंग लाया है अपने ही परिवार को बिखराया है, हाय रे जिंदगी ये कैसा रंग लाया है