"होली"
"होली"
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होली आई रे,
प्रियतम घर आजा,
यौवन लेवे अँगड़ाई,
नौगढ़ जल अँगना में बरसे,
खुद नहा जा,
मुझे भी नहला जा,
यौवन लेवे अँगड़ाई,
56 रसालें का भोजन बनाया,
खुद खा जा,
मुझे भी खिला जा,
यौवन लेवे अँगड़ाई,
पान बत्तीसी का बीड़ा लगाया,
खुद खा जा,
मुझे भी खिला जा,
यौवन लेवे अँगड़ाई,
गुलाब की कलियों से सेज सजाया,
तन की तपन मिटाजा,
यौवन लेवे अँगड़ाई,
चोली मेरी कस्ती जावें,
अंग - अंग गदरावे,
मन मेरा गुन - गुनावें,
बिन पीये बहका जावे,
आँचल अंगों से सरका जावे,
अंग लगा के,
"शकुन" रंग लगा के,
मन की पीड़ मिटाजा,
यौवन लेवे अँगड़ाई।।